नारी | ऑनलाइन बुलेटिन
©राजेश श्रीवास्तव राज
परिचय– गाजियाबाद, 18 वर्षों से हिंदी, उर्दू, अवधी और भोजपुरी में कविता गीत व अन्य साहित्यिक विधाओं में लेखन कार्य, विभिन्न मंच पर काव्य पाठ व सम्मान प्राप्त.
नारी को अबला मत समझो
वो जननी और कल्याणी है
नारी को दुर्बल मत समझो,
वो तो काली खप्पर वाली है ।
सृष्टि की अति सुंदर कृति वो,
वो अन्नपूर्णा, जगदंबा माता है।
नारी के हैं कितने रूप अनेक,
वो बेटी, बहना, पत्नी, माता है।
नारी तो वो अनुपम रचना है,
जिसमें सबको अभिमान सदा।
नारायण की नारायणी है वो,
वो शिव शंभू की शांभवी है ।
नारी बिना कभी पुरुष का,
अस्तित्व न पूर्ण हो पता है ।
लज्जा, प्रेम की गर मूरत वो है,
वो क्रोध, द्वेश की द्योतक भी है ।
नारी को अबला मत समझो
वो जननी और कल्याणी है
माँ सीता भी वो नारी ही थी,
रावण भी जिससे हार गया।
पांचाली ही अद्भुत शक्ति थी,
जिसने कौरव का नाश किया ।
समुद्र मंथन के अमृत कलश को,
देने को नारी बन अवतार लिया ।
शबरी, मीरा भी भक्त नारी थी,
जिसने था भक्ति का ज्ञान दिया ।
वो शेरों वाली दुर्गा भी नारी थी,
जिसने महिष का संहार किया ।
नारी को अबला मत समझो,
वो जननी और कल्याणी है।