.

आमा फरे हे घुले-घुल म | Newsforum

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका), कोरबा, छत्तीसगढ़

परिचय- गाइडर जय भारत इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल, जिला-कोरबा, जिला उपाध्यक्ष अखिल भारतीय हिंदी महासभा.


गीत

 

आमा फरे हे घुले-घुल म,

बगिया ह महके फूले-फूल म।

 

देखे म मन मोर, अइसे ललचावत हे।

सजना हे तीरे म, अऊ तरसावत हे।।

मोंगरा लगायेंव बेनी फूल म,

आमा फरे हे घुले-घुल म।

 

कोयली ह गावत हे, मन ल हरसावत हे।

पिरित के मीठ बानी, सबला सिखावत हे।।

मगन हे कोयली थांही झूल म,

आमा फरे हे घुले-घुल म।

 

एति ओति जम्मो कोति, ममहाये फुलवा ह।

लुका-छुपी घेरी-बेरी देखे मोर मितवा ह।।

देख डारेंव महु घलो भूल म,

आमा फरे हे घुले-घुल म।

 

आमा फरे हे घुले-घुल म,

बगिया ह महके फूले-फूल म।


Back to top button