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बच्चों के चंदा मामा…

©प्रीति विश्वकर्मा, ‘वर्तिका’,

परिचय- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश.


 

(बालकाविता)

 

 

मम्मी कहती,

बहुत दूर है चंदा मामा,

नभ न तारें बिखराते।

इतनी दूर भला कैसे,

बच्चे के हाथ पहुंच पाते।

गहरा रिश्ता उनका हमसे,

तभी चांदनी पहुंचाते।

बच्चों, ज्यादा दूर नहीं मैं तुमसे,

चंदा मामा बतलाते।

 

इसरो ने फिर हमें बताया,

मिलने की हो चाह जहां,

मिल जाती हैं राह वहां,

बच्चों तुम ना हों उदास,

जा पहुंच चंद्रयान, चंदा के पास।

 

ढूढ लाएगा, सवालों के जवाब

कुछ रहस्यों से पर्दा हटाएगा।

जा पहुंचा है यान, चंदा के घर,

देखो,, देखो बच्चों ,

बन गया भारत भी इक चमकता तारा,

उतर गया रोवर चंदा पर,

रच दिया देखो, फिर इतिहास ।

 

bachchon ke chanda maama...

 

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