जिन्दगानी अद्भुत कहानी | newsforum
©प्रीति विश्वकर्मा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
माँ की कोख से शुरू कहानी,
रिश्तों के ताने बाने में उलझी जिन्दगानी
अमृतपान फ़िर सन्स्कारों का ज्ञान,
आत्मअबोध, सुख दुःख से अनजान..
बाल्या बीती आयी जवानी,
रिश्ते जोड़े रखने की पड़ी कला सीखनी ..
तिमिर कही, कही उजाला,
सुध भूल, जंजालों से पड़ता पाला..
बन खग उड़ परदेश गये,
ना जाने कितने अपने बिछड़ गये..
अपने के खातिर भूले सपने,
विकट समय ना होते अपने अपने..
जीवन भर धन बटोरता रहा,
लो अन्त समय सब छोड़ रहा..