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बाबा साहेब जी | newsforum

 

देश का हो स्वाभिमान

रचा है आपने संविधान

तोड़ सदियों की गुलामी

अछूत को बनाया इंसान

 

गजब किया जो कारनामा

कर सका न कोई भगवान

दबे-कुचलों के बने सहारा

निडरता से लड़े सीना तान

 

जला मनुस्मृति भांडा फोड़ा

मनुवाद का तोड़ा अभिमान

पानी ख़ातिर भी संघर्ष किया

दुनिया में व्यक्तित्व हैं महान

 

कदम कदम सहा जातिवाद

घर कुनबा कर दिया कुर्बान

चले खुद की विचारधारा पर

संवारा है दलितों का सम्मान

 

बाबा साहेब जी न आते जग में

कौन अधिकारों का रखता मान

पीछे झाडू गले में हांडी होती

कौन मानता अछूतों को इंसान

 

अम्बेडकरवाद को अपना कर

संभालों आन्दोलन की कमान

व्यक्ति समाज देश हो विकसित

फिर ना किसी का होगा अपमान …

 

©अनिल बिड़लान, हरियाणा            

परिचय : शिक्षक, काव्य संग्रह- कब तक मारे जाओगे और सुलगते शब्द, विभिन्न समाचार पत्रों व पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित.


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