ऑनलाइन बुलेटिन : दर्द-ए-गमों की दास्तां…

©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय लातूर, महाराष्ट्र
सूखी टहनियों के साथ पेड़ वो अश्क बहाता है,
उनके दर्द-ए-गमों की दास्तां कौन यहां सुनता है।
हरी-भरी टहनियों पर था कल कितने सारे पंछियों का बसेरा,
सूखी टहनियों के साथ खड़ा है आज,वही पेड़ बनके बेसहारा।
वक्त के साथ-साथ सबकुछ बदल जाता है यहां पर,
पेड़,पौधे और इन्सानों के जीवन का यही है दर्द भरा सफर।
कल जिस पेड़ की छांव में लगा रहता था राहगीरों का मेला,
उजड़ा हुआ वही पेड़ देखो अब,सबके बिना खड़ा है अकेला।
पंछी भी उड़ गए,राही भी दूर से देखते है मेरा हाल,
किसे बताएं दर्द-ए-दास्तां मेरी,कल मैं भी था कितना खुशहाल।
वो किससे बयां करेंगे अपने दर्द-ए-गमों की दास्तां,
उजड़ी हुई जिंदगी के संग,अपने भी कब रखते है कोई वास्ता।
उड़ गए पंछी,घोंसला भी रह गया है उनके बिना खाली,
चहकते पंछियों के संग संग कल खिली-खिली हुई थी डाली डाली।
सूखी टहनियों के साथ पेड़ वो अश्क बहाता है,
उनके दर्द-ए-गमों की दास्तां कौन यहां सुनता है।

🔥 सोशल मीडिया
फेसबुक पेज में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://www.facebook.com/onlinebulletindotin
व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/Cj1zs5ocireHsUffFGTSld
ONLINE bulletin dot in में प्रतिदिन सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाएं, परीक्षा पाठ्यक्रम, समय सारिणी, परीक्षा परिणाम, सम-सामयिक विषयों और कई अन्य के लिए onlinebulletin.in का अनुसरण करते रहें.
🔥 अगर आपका कोई भाई, दोस्त या रिलेटिव ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन में प्रकाशित किए जाने वाले सरकारी भर्तियों के लिए एलिजिबल है तो उन तक onlinebulletin.in को जरूर पहुंचाएं।
ये खबर भी पढ़ें: