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कब पानी गिरही | Newsforum

©राजेश कुमार मधुकर (शिक्षक), कोरबा, छत्तीसगढ़


 

 

आसाढ़ के महिना अधियागे,

ए बादर कब बिनती सुनही

सूरज हर उगलत आगी हे

कोन जनी कब पानी गिरही

भुईया के गरमी बाढ़ गये हे

कोन जनी कब येला हरही

कोन जनी कब पानी गिरही

 

भुईया के छाती ह फाटत हे

अब तो घाम सहे बर परही

जब तक पानी नई गिरत हे

ओतका दिन ले गरमी करही

कोन जनी कब पानी गिरही

 

चारो कोती सब हलकान हे

रद्दा रेंगे म चटले गोड़ जरही

झांझ देख निकलत जान हे

बादर हमर कब पीरा हरही

कोन जनी कब पानी गिरही

 

नरवा-नदिया देख सुखाये हे

कतका आउ जुलुम ल करही

दाना-पानी के सब भूखाये हे

गिर पानी सबके पेट भरही

कोन जनी कब पानी गिरही

 

खेती-बाड़ी के दिन आ गे हे

किसान मन कब काम धरही

बादर आये ले आस जागे हे

लागत हे बनेच पानी गिरही

कोन जनी कब पानी गिरही …


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