बालासोर हादसा…

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
अचानक हुआ एक शोर, फिर मातम सा छा गया।
न जाने वो कैसा काल था जो सब कुछ खा गया।
कहीं हाथ , कहीं पैर, चारों ओर सिर्फ़ खून ही खून,
दर्द, आंसू , गम, तड़प सब एक पटरी पे समा गया।
अस्पतालों में लाशों के बीच अपने को तलाश रहें लोग,
कैसे मान लें साहेब, इतना बड़ा हादसा है एक संयोग।
हाथों से उठाएं लाशों को या कांधे पे लेकर जाएंगे,
जिसकी कोई दवा नहीं ऐसा लगा है जीवन में रोग।
वक्त के साथ माना, कोई ज़िम्मेदार ठहर जाएगा,
जिसका लूट गया संसार, भला क्या वो लौट आएगा,
रूह कांप गई है सबकी, सिर्फ़ तस्वीरों को देखकर,
जो कयामत बरपा है, क्या कभी वो ज़ख्म भर पाएगा।
नया जोश, नई तकनीक क्या मोबाइल तक रह जाएगी,
ये उल्टे – सीधे रील बनाकर,भला कैसे गुल खिलाएगी,
नई तकनीक संग देश का उद्धार किया जाए,
अनहोनी हादसे से पहले ये हादसे को टाल जाएगी।
स्याही खत्म हुई लेकिन खून अब भी थम न पाया।
बेटा होगा मेरा ज़िंदा, पिता हर बोगी देख आया,
इस दर्द की गठरी को उठाकर वो कैसे गांव जाएगा,
गुहार लगाकर आसमान से,पटरी पे दम तोड़ आया।
गुहार लगाकर आसमान से, पटरी पे दम तोड़ आया।
? सोशल मीडिया
फेसबुक पेज में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://www.facebook.com/onlinebulletindotin

व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/Cj1zs5ocireHsUffFGTSld
ONLINE bulletin dot in में प्रतिदिन सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाएं, परीक्षा पाठ्यक्रम, समय सारिणी, परीक्षा परिणाम, सम-सामयिक विषयों और कई अन्य के लिए onlinebulletin.in का अनुसरण करते रहें.
? अगर आपका कोई भाई, दोस्त या रिलेटिव ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन में प्रकाशित किए जाने वाले सरकारी भर्तियों के लिए एलिजिबल है तो उन तक onlinebulletin.in को जरूर पहुंचाएं।