गांधी जी | Onlinebulletin.in
©रामकेश एम यादव, मुंबई
बिखरे देश को बाँधा जिसने
गांधी उसको कहते हैं।
सत्य-अहिंसा के थे पुजारी
दिल में हमारे रहते हैं।
तूफानों से लड़ना उनका
देखो खेल खिलौना था।
सत्य के आगे अंग्रेजों का
कद भी कितना बौना था।
भारत छोड़ो के नारों से
देश में क्रांति आई थी।
क्या नर क्या नारी सब मिलके
वस्त्रों की होली जलाई थी।
यूँ खूब बही खूनों की नदी
फाँसी पे कितने झूल गए।
कांप गए वो जुल्मी फिरंगी
कितने ठिकाने भूल गए।
हुआ देश आजाद हमारा
जय हो अमर शहीदों की।
जब तक सूरज -चाँद रहेगा
बात चलेगी गांधी की।