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अनुपम है सौंदर्य …

अनुपम है सौंदर्य तुम्हारी

प्रकृति सदा परिपूर्ण

श्वेत चंद्रमा कांति लिए

गगन पर दिखे सम्पूर्ण

 

दो स्वर्ण अश्वों के मध्य में

श्वेत अश्व संग दौड़ रहे

शशि की सुंदर किरणे

उज्जवलता को बिखेर रहे

 

रजनीकर ने भेजा है मानो

धरा पर कुछ संदेशा

भ्रमण कर रहे अश्वों को

देख करे अंदेशा

 

हर अड़चन को पार कर

आगे निकल रहे हैं

एकता में वो शक्ति है

जो संग में दौड़ रहे हैं

 

छवि निराली सुन्दर आभा

निशा मनोरम दृश्य

रत्नाकर के तीर में

गगन तले परिदृश्य …

 

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़  


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