अमर हो जाते हैं | Newsforum

©निरज यादव, चम्पारण, बिहार
ये चाँद वही, सूरज वही,
बदल तो हम जाते हैं।
ये धरती वही, आकाश वही,
इसको छोड़ जाते हैं।
हमारा यहां से जाना है निश्चित,
तो आख़िर क्यों हम घबड़ाते हैं?
पहले तो हम करते हैं ग़लती,
फिर बाद में पछताते हैं।
जिन्होंने जीना सीख लिया,
वो मर के भी जगमगाते हैं।
भले लोग उसके शव को जला दें,
लेकिन वो लोगों के दिलों में बस जाते हैं।
लोग उसके गुण को गाएं,
ऐसा कुछ कर जाते हैं।
मर कर भी इस दुनिया में,
अमर हो जाते हैं…..
अमर हो जाते हैं….