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एडॉप्शन सेंटर में tribal बच्चियों के साथ हैवानियत…

संजीव खुदशाह

©संजीव खुदशाह 

परिचय- रायपुर, छत्तीसगढ़


 

A case has come to light in Chhattisgarh’s Kanker district of a Special Adoption Agency Center under the supervision of the Women and Child Development Department, which is run by an NGO Pratigya Vikas Sansthan. The ruthless side of the manager of this center was exposed. The woman beat two innocent girls badly, lifted them up and thrashed them. Anyone’s heart will tremble after watching the video. The name of this woman is Seema Dwivedi. Which is posted on behalf of Enjio. The matter came to light when this video of the assault went viral. It is necessary to mention here that Kanker is a tribal-dominated area and it is being told that the girls who were assaulted are tribal Dalit girls, whose age is around 3 years.

 

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला का एक मामला प्रकाश में आया है महिला एवं बाल विकास विभाग की देखरेख में विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण केंद्र जो कि एक एनजीओ प्रतिज्ञा विकास संस्‍थान के द्वारा संचालित है। इस केंद्र की मैनेजर का क्रूर चेहरा पक्ष उजागर हुआ। महिला ने दो मासूम बच्चियों को बुरी तरह पीटा, उठा उठाकर पटका। वीडियो देख कर किसी का भी दिल दहल जायेगा। इस महिला का नाम सीमा द्विवेदी है। जो की एंनजीओं की ओर से पदस्‍थ है। मामला तब सामने आया जब मारपीट का यह वीडियो वायरल हुआ। यहां यह बताना जरूरी है कि कांकेर एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है और बताया जा रहा है कि जिन बच्चियों के साथ मारपीट हुई है यह आदिवासी दलित बच्चियां हैं जिनकी उम्र 3 वर्ष के आसपास है। (tribal) कांकेर कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला ने प्रतिज्ञा विकास संस्थान, विशेषीकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण कांकेर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

 

उल्लेखनीय है कि उक्त अभिकरण के विरुद्ध शिकायत मिलने पर संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम द्वारा 4 जून 2023 को अभिकरण का औचक निरीक्षण किया गया , जांच में शिकायत की सत्यता की पुष्टि हुई।

 

उक्त शिकायतों की पुष्टि के बाद कलेक्टर ने कांकेर में विशेषीकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण का संचालन करने वाली संस्था प्रतिज्ञा विकास संस्थान दुर्ग का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने हेतु संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग को अनुशंसा की है । कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला के निर्देश पर बच्चों से मारपीट की आरोपी समन्वयक (विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी) सीमा द्विवेदी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 323, 75 किशोर न्याय( बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 3(2) वी (क) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत अपराध दर्ज कर लिया गया है । पुलिस ने मारपीट की आरोपी समन्यवक सीमा द्वि‍वेदी को हिरासत में ले लिया है। (tribal)

 

मामला यहीं तक रुका नहीं एनजीओ की ओर से पदस्थ सीमा द्विवेदी की पहले भी शिकायत हो चुकी है लेकिन महिला बाल विकास अधिकारी जिनका नाम चंद्रशेखर मिश्रा है बताया जा रहा है उन्होंने सिर्फ 50,000 रिश्वत लेकर इन मासूमों पर बेरहमी का लाइसेंस दे दिया। जब वीडियो वायरल हुआ तो चंद्रशेखर मिश्रा को विभाग द्वारा निलंबित कर दिया गया है।

दत्तक ग्रहण केंद्र में 0 से 6 साल तक के बच्चे रहते हैं। ये बच्‍चे अनाथ होते अपने माता पिता से बिछड़े हुये। इन बच्चों की गतिविधियों की निगरानी हो सके इसलिए cctv कैमरे लगाए गए हैं। यह कैमरे रात को बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि देर रात कोई युवक आता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह युवक और कोई नहीं बल्कि मैनेजर सीमा का बॉयफ्रेंड है। बताया जा रहा है कि ऐसा नहीं है कि बच्चों के साथ मारपीट का किसी ने विरोध नहीं किया। 8 कर्मचारियों ने ऐसी हिमाकत की जिसके बदले उन्हें काम से हटा दिया गया। (tribal)

 

आदिवासी और दलित बहुल क्षेत्रों में स्थापित छात्रावास एवं इस तरह के केंद्रों में अत्याचार होना कोई नई घटना नहीं है। कइयों मामले देश में इस तरह के सामने आते रहे है। प्रश्न उठता है की आखिर उस सवर्ण महिला को 3 साल की बच्चियों से क्या परेशानी थी? कि उन्हें इतना बेरहमी से मारा। वीडियो देखकर किसी का भी खून खौल जाएगा।

आदिवासी और दलित बच्चियों की सुविधा हेतु सरकार का प्रयास अक्सर जाति वादियों के लिए वैमनस्य का कारण बनता है। सवर्ण जाति के कुछ लोग पिछड़ी जाति के बच्चों को ऊपर उठते नहीं देख सकते। इसीलिए वह किसी ना किसी प्रकार से इन्हें प्रताड़ित करते रहते हैं चाहे बात इंद्र मेघवाल की हो या फिर मनीषा वाल्मीकि की, मामला सब जगह एक सा है। (tribal)

 

अगर cctv का वीडियो वायरल नहीं होता तो यह प्रताड़ना ना जाने कब तक चलती रहती। और ना जाने कितने ऐसे केंद्रों में छात्रावासों में ऐसी प्रताड़ना चल रही होगी। इस प्रकार की घटना के पीछे कुछ और नहीं बल्कि जातिवाद है। जो कि एक महिला को यह हिम्मत देता है कि वाह शोषण करें क्‍योंकि ऊपर कोई चंद्रशेखर मिश्रा उसके बचाव के लिए तैयार बैठा है। एनजीओ का अध्‍यक्ष विजय मिश्रा एवं संचालक महिला एवं बाल विकास दिव्‍या उमेश मिश्रा है। ऐसे में किसी अत्याचारी को हौसला मिलना लाजमी है।

 

ये घटना बताती है कि हमारे देश में डायवर्सिटी (विविधता) की कितनी जरूरत है। डायवर्सिटी नहीं होने पर सरकारी संस्‍थाओं पर किसी खास वर्ग का एकाधिकार हो जाता है। इसीलिए आरक्षण की व्‍यवस्‍था की गई है। जिसके लिए ज्‍यादातर सवर्ण समाज जहर उगलता रहता है। स्‍कूल के पाठयक्रम में ऐसे अध्‍याय जोड़े जाने चाहिए ताकि बच्‍चों को समाजिक स्थिति का ज्ञान हो सके। वे भारतीय समाज के इतिहास का क्रूर चेहरा देख सके। (tribal)

 

दलित आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग के शोषण को समझ सके। उनका नजरिया आरक्षण के प्रति नफरत का नहीं बल्कि सकारात्‍मक हो सके। ताकि वे पिछड़े समाज को नफरत से नहीं बल्कि समानता के दृष्टि से देख सके। तभी हमारा देश विश्‍व गुरु बन पायेगा तथा जातिय नफरत खत्‍म होगी।

 

 

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