बचपन की यादें हंसती है…
©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र
ममता भरी वो गांव की मिट्टी बहोत याद आती है,
जिस मिट्टी की गोद में,आज भी बचपन की यादें हंसती है।
दिल में वो प्यारा गांव हमारा और निगाहों में शहर है,
जिंदगी कहां कहां ले आई हमें और कितना बाकी सफ़र है।
शहर की भीड़ में कहीं भी सुकून नजर नहीं आता है,
तब गांव की मिट्टी की यादों में ये दिल खो जाता है।
सुन्दर प्यारा वो गांव हमारा,आज कहीं खो गया है,
बहती शहर की हवाओं ने,उस गांव को भी निगल लिया है।
उस बदले हुए गांव की,अब सिर्फ यादें ही बाकी रह गई है,
कुछ तस्वीरें उस गांव की,इस निगाहों में उभर आई है।
वही बचपन ढूंढने को,गांव की ओर ये मन आज भी दौड़ता है,
मगर बदले हुए गांव को देखकर,ये दिल तन्हाई में डुबता है।
खुशबू से महकती वो गांव की मिट्टी बहोत याद आती है,
कहां है वो खुशबू अब चारों ओर परेशां जिंदगी नज़र आती है।
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