गोठ | Newsforum
©राजेश कुमार मधुकर (शिक्षक), कोरबा, छत्तीसगढ़
कछु गोठ ल बोले के पहली
बने बिचार के गोठियाये कर
इही गोठ हर तो मया बढ़ाथे
इही गोठ हर तो हवय लड़ाथे
इही गोठ हर सब बात बढ़ाथे
इही गोठ हर तो शांत कराथे
कछु बोलना हे त बने बोल
बोले म तै झन सरमाए कर
कछु गोठ ल बोले के पहली
बने बिचार के गोठियाये कर
इही गोठ हर हे अपन बनाथे
इही गोठ हर सब बैर कराथे
इही गोठ हर बने ज्ञान बढ़ाथे
इही गोठ हर तो मूरख बनाथे
जेकर गोठ बात ह बने नई हे
झन ओकरे से गोठियाये कर
कछु गोठ ल बोले के पहली
बने बिचार के गोठियाये कर
इही गोठ हर तो आघू बढ़ाथे
इही गोठ हर तो पाछू कराथे
इही गोठ हर तो पीरा बढ़ाथे
इही गोठ हर तो पीरा मढ़ाथे
हमर गोठ म बनेच ताकत हे
ओ ताकत ल अजमाये कर
कछु गोठ ल बोले के पहली
बने बिचार के गोठियाये कर
इही गोठ हर सच ल कहिथे
इही गोठ हर झूठ ल कहिथे
इही गोठ हर तो घाव कराथे
इही गोठ हर मरहम बनाथे
बात बना के झन तैहर बोल
बोले बर झन हड़बड़ाये कर
कछु गोठ ल बोले के पहली
बने बिचार के गोठियाये कर
इही गोठ म हे मधुरस गिरथे
इही गोठ म हे जहर बरसथे
इही गोठ म हे देवता बनथे
इही गोठ म हे राक्षस बनथे
इही गोठ हर पहिचान बनाही
मधुकर के बात गठियाये कर
कछु गोठ ल बोले के पहली
बने बिचार के गोठियाये कर …