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ऐसे तलातुम की तरह आ | ऑनलाइन बुलेटिन

©भरत मल्होत्रा

परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र


 

 

 

किसी शोख के इशारा ए पैहम की तरह आ

इस बार तू बहार के मौसम की तरह आ

 

 

हो जाऊँ थोड़ा और ताज़ा दम मैं भीग कर

चुपके से दिल के फूल पर शबनम की तरह आ

 

 

बह जाऊँ किसी तिनके की मानिंद जिसमें मैं

तू इश्क़ के इक ऐसे तलातुम की तरह आ

 

 

हम बाहें फैलाए तुम्हें तैयार मिलेंगे

दुश्मन की तरह आ तू या हमदम की तरह आ

 

 

नाकाबिल-ए-बर्दाश्त हो चला है दर्द अब

आ, दिल के सारे ज़ख्मों के मरहम की तरह आ

 

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