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मेरे घर को चले आना | ऑनलाइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा, जी.आज़ाद

परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान


 

 

आँखों से नींद गायब हो, चैन दिल को नहीं आना।

फिर भी सोने की इच्छा हो, मेरे घर को चले आना।।

आँखों से नींद गायब हो———————-।।

 

 

यारों ने साथ छोड़ा हो, साथी ने हाथ छोड़ा हो।

फिर भी रिश्तों की इच्छा हो, मेरे घर को चले आना।।

आँखों से नींद गायब हो———————-।।

 

 

किसी ने बदनाम किया हो, किसी ने बेदर किया हो।

फिर भी मोहब्बत की इच्छा हो, मेरे घर को चले आना।।

आँखों से नींद गायब हो———————-।।

 

 

किसी ने जख्म दिया हो, चेहरे का नूर गया हो।

फिर भी हंसने की इच्छा हो, मेरे घर को चले आना।।

आँखों से नींद गायब हो———————–।।

 

 

जीने को ख्वाब नहीं हो, बचने की राह नहीं हो।

फिर भी जिंदगी की इच्छा हो, मेरे घर को चले आना।।

आँखों से नींद गायब हो————————-।।

 

 

आँखों में अश्क नहीं हो, दिल में कोई गम नहीं हो।

फिर भी रोने की इच्छा हो, मेरे घर को चले आना।।

आँखों से नींद गायब हो———————।।

 


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