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नयनों में आंसुओं की सौगात…

©प्रा.गायकवाड विलास

परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र


 

रफ्ता रफ्ता गुज़र रहे है जिंदगी के हर पल,

चारों दिशाओं में मची हुई है ये कैसी हलचल।

 

भीगी पलकें टूटें अरमां जिंदगी हुई है बेहाल,

समझ न आयी किस्मत तेरी अदाएं है बड़ी कमाल।

 

सदियां बीतीं आज भी है हम यहां पे कंगाल,

नीयत जिसकी बदली वो ही यहां पे मालामाल।

 

जाएं तो भी कहां जाएं चारों ओर है यहां बवाल,

बेईमानी के दौर में सच हुआ है कितना बेहाल।

 

ज़माना करें शोर,सियासत है इस जहां में खुशहाल,

जलती गरीबों की बस्तियां और महलों में धमाल।

 

भूखे नंगें की बस्तियों में दिखते है चारों ओर कंकाल,

चाहे औरों की भलाई गुज़र गया है वो काल।

 

रफ्ता रफ्ता गुज़र रहे है जिंदगी के हर पल,

नयनों में आंसुओ की सौगात और भीगा है आंचल।

 

Gaikwad Vilas, Latur, Maharashtra
गायकवाड विलास

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