संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर…
©उषा श्रीवास, वत्स
डॉ. भीमराव अंबेडकर जी का जन्म १४ अप्रैल १८९१ को मध्यप्रदेश स्थित महू में पिता रामजी मालोजी एवं माता भीमाबाई के घर १४ वीं संतान के रुप में हुआ,वे मूलरूप से मराठी और हिन्दू महार जाति से संबंध रखते थे,चूँकि उनकी जाति को अछूत कहा जाता था,जिस कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक रुप से कठिनाइयों को बहुत सहन करना पड़ा।
७ नवम्बर १९०० को आंबेडकर जी की शैक्षिक जीवन का आरंभ हुआ,भीमराव जी शुरु से ही मेघावी छात्र रहें हैं,१९०७ में उन्होने अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की १९१२ में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की,१९१६ में अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की,१९२२ में बैरिस्टर-एट-लॉज की उपाधि प्राप्त की।Constitution maker Dr. Bhimrao Ambedkar…
बाबा साहब ने शिक्षा की व्याख्या में कहा- शिक्षा वह है जो व्यक्ति को निडर बनाए, एकता का पाठ पढ़ाए, लोगों को अधिकारों के प्रति सचेत कर संघर्ष की सीख दे एवं स्वतंत्रता के लिए लड़ना सिखाए।Constitution maker Dr. Bhimrao Ambedkar…
डॉ. भीमराव अंबेडकर को कुल १६ डिग्रियाँ प्राप्त थी, डॉ. भीमराव अंबेडकर जी का राजनीतिक सफर १९२६ में शुरु हुआ और १९५६ तक वे विभिन्न पदों पर रहे, दिसंबर १९२६ बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित हुए, और १९३६ तक बॉम्बे लेजिस्लेटिव काऊंसिल के सदस्य रहे, १९३६ में बाबा साहब ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की १९३७ में केंद्रीय विधान सभा चुनावों में १३ सीटें जीती और विधायक के रुप में चुने गए, वे १९४२ तक बॉम्बे विधान सभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता के रुप में कार्य किए।Constitution maker Dr. Bhimrao Ambedkar…
आंबेडकर जी एक सफल पत्रकार और प्रभावी संपादक भी रहें हैं। उन्होंने शोषित और दलित समाज में जागृति लाने के लिए विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन एवं संपादन किया।
आम्बेडकर जी ने कहा था- छुआछूत गुलामी से भी बदतर है।Constitution maker Dr. Bhimrao Ambedkar…
सन् 1927 को उन्होने छूआछूत के विरूद्ध एक व्यापक एवं सक्रिय आंदोलन आरंभ करने का निर्णय किया,उन्होने सार्वजनिक आंदोलनों,सत्याग्रहों और जलूसों के द्वारा पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी वर्गों के लिए खुलवाने के साथ ही उन्होनें अछूतों को भी हिन्दू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया।
गाँधी जी व कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिष्ठा एवं अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी, १५ अगस्त १९४७ को भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व में आई तो पहले कानून एवं न्यायमंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रण को स्वीकृति दी।Constitution maker Dr. Bhimrao Ambedkar…
संविधान सभा में बाबा साहब का चयन उनकी प्रशासनिक दक्षता और राजनीतिक प्रभाव के कारण हुआ था, उन्होंने संविधान सभा के चर्चा का संचालन और नेतृत्व किया।
सन् १९५० के दशक में बाबा साहब बौद्ध धर्म के प्रति आर्कषित हुए, १९५५ में उन्होनें भारतीय बौद्ध महासभा की स्थापना की।
सन् १९५६ में बाबा साहब का निधन हुआ। मरणोपरांत सन् १९९० में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
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