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समंदर से भी गहरा पिता का प्यार | Newsforum

©डॉ. सपना दलवी, कर्नाटक

परिचय :- शिक्षा- एमए, एमफिल, अनुवाद डिप्लोमा, पीएचडी, रुचि- कविता, कहानी, नाटक, स्त्री विमर्श लेखन, उपलब्धियां: हिन्दी व मराठी भाषा में देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर लेख का प्रकाशन.


 

 

समंदर से भी गहरा है “पापा” का प्यार।

सब के लिए रहता मन इनका उदार।

इनकी छत्रछाया में पाता सुकून

पूरा परिवार है।

हर मुश्किलों से रक्षा करते

“पापा” परिवार के रक्षा कवच है।

घर का सारा बोझ कंधे पर लेते

पर कभी ना चेहरे पर उदासी दिखाते।

थके हारे लौटते जब काम से

फ़िर भी हल्की मुस्कान से सब का दिल बहलाते।

हर मुश्किलों का हल रहता इनके पास।

डटकर सामना करते हैं

हर मुश्किल को पल में दूर भगाते हैं।

जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाते हैं कभी कभी।

फ़िर भी सीना तानकर

संभालते हैं पूरे परिवार को।

शब्द कम पड़ रहे हैं अब

पापा की तारीफ़ में।

जितनी भी करूं कम ही है

यह ऐसे सुन्दर आसमां है।

जिसके तले सुकून से सोता

पूरा परिवार है।


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