.

मोर मन के छांव | Newsforum

©गणेन्द्र लाल भारिया, शिक्षक, कोरबा, छत्तीसगढ़

परिचय – प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (हिन्दी), केन्द्रीय विद्यालय, अंबिकापुर


 

 

मोर के छांव म थोकन सुस्ता ले न ओ ।-2

 

करु कस्सा ल छोड़ के

तोर मन ल मोर कती मोड़ के

सुख दुख के गोठ गोठिया ले न

ओ।

मोर के छांव म थोकन सुस्ता ले न ओ। -2

 

मीठ बानी बोल के

तोर दिल ल मोर बर खोल के

तन-मन ल मया के रस म बोर ले न ओ।

मोर मन के छांव म थोकन सुस्ता ले न ओ।-2

 

नदिया नरवा नई जा के

अमरइय्या के छांव म आ के

गोदी म बइठ के झूलना झूल ले न ओ।

मोर मन के छांव म थोकन सुस्ता ले न ओ।-2

 

तरिया तीर म आ के

मंयतोला मरकी बोहा के

मंयअपन मन ल मढ़ा लेहूं न ओ।

मोर मन के छांव म थोकन सुस्ता ले न ओ ।-2


Check Also
Close
Back to top button