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गांधीवचन | Onlinebulletin.in

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका), कोरबा, छत्तीसगढ़


सत्य व अहिंसा के पुजारी गांधीजी, जिनके तीन वाक्य जो हमेशा लोगों की जुबान पर होते हैं। “बुरा मत देखो”, “बुरा मत सुनो”, और “बुरा मत कहो!” ये तीनों वाक्य लोगों के जुबान पर जरूर होते हैं किंतु वर्तमान में लोगों के मन-मस्तिष्क में इन वाक्यों के लिए गलत धारणा है। वे इन वाक्यों का नकारात्मक अर्थ निकालते हैं।

 

गांधीजी के वाक्य हैं “बुरा मत देखो” लोग इस वाक्य का अर्थ निकालते हैं कि “कोई भी बुरा कार्य हो रहा हो या गलत हो रहा हो तो उसे हमें नहीं देखना है, हमें बस अपना काम करना है, हमारे सामने कोई अन्याय हो रहा है तो उसे नजरअंदाज करना या अपनी आँखें बंद कर लेना है, चाहे कोई किसी को मारपीट करे या जान ले ले हमें इस झंझट में नहीं पड़ना है।

 

किंतु इसका यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है “बुरा मत देखो” का अर्थ है – यदि आपके समक्ष कोई गलत कार्य या अन्याय हो रहा है तो उसे चुपचाप सहन करना या देखते रहना नहीं है, बल्कि उसका विरोध करना है, न कि इसे नजरअंदाज करना। अपराधी को उसके गलत कार्य के लिए सजा देना है, उसके अपराध को रोकना है, उसके गलत कार्यों पर लगाम लगाना है। इसी तरह “बुरा मत सुनो” और “बुरा मत कहो” वाक्य का भी गलत अर्थ निकालते हैं।

 

वे अपने कान और मुँह बंद करते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है। “बुरा मत सुनो” इसलिए कहा गया कि यदि कोई अन्याय हो रहा है, यदि कोई कुछ भी अनुचित या आपत्तिजनक या गलत कह रहा है तो उसे सुनकर नहीं रहना है बल्कि उसका जवाब देना है। “बुरा मत कहो” का अर्थ है- हम अपनी सभ्यता को न भूलें और अपने मन, वचन, कर्म में अच्छाई को लाएँ। किसी को अनुचित न कहें।

 

यदि गांधी जी के इन तीनों वाक्य का अर्थ- आँख, कान, मुँह बंद करना होता तो वे देश की आजादी के लिए आंदोलन  न चलाते बल्कि सब कुछ देखते हुए, जानते हुए भी नजरअंदाज करके अपने आँख, कान, मुँह बंद करके बैठे होते।

 

साथ ही आजादी की खुली हवा में साँस लेने के हम हकदार भी नहीं होते और गुलामों की तरह ही जीवन जीते रहते । अतः गांधी जी के सुविचारों को हम सकारात्मक अर्थ में ही प्रयोग करें तभी उसकी सार्थकता है।


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