हाथों की लकीरों में…
©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र
हाथों की लकीरों में तू,क्या देखता है तक़दीर,
वो तो कमजोर लोगों की बुरी आदतें है।
हिम्मत और मेहनत ही है तेरे जीने की लिए सहारा,
देख वही तेरी सफलता की सही मंजिल है।
जिनको अटल भरोसा है अपनी बाजुओं पर,
वो हाथों की लकीरों में अपनी तकदीर ढूंढते नहीं है।
यहां हर सफलता मांगती है कठोर परिश्रम जीवन में,
वो ही हर हाल में यहां पर अपना भाग्य ख़ुद लिखते है।
लडता जा तुफानों से,ये जिंदगी उसी का साथ देती है,
ईश्वर,अल्लाह और ख़ुदा ये तो तेरे मन की आशाएं है।
ये जिंदगी इतनी आसान नहीं की,युंही फल मिल जाएं,
देख वो सूरज भी अपने वक्त पर डुबता और निकलता है।
चल रहा वक्त और चलता ही जायेगा इस संसार में,
देख हर आंगन में यहां सुख और दुखों की बदलती छाया है।
भुला दो गमों को,ग़म तो सभी जिंदगी से जुड़े है,
मेहनत लायेगी रंग,देख उसी में तेरी तक़दीर छिपीं है।
हाथों की लकीरों में तू,क्या देखता है तक़दीर,
वो तो कमजोर लोगों की बुरी आदतें है।
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती इस दुनिया में,
मुसीबतों से लड़नेवालों पर ही ये जिंदगी मेहरबां है – – – ये जिंदगी मेहरबां है।
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