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कैसी यह रीति है | ऑनलाइन बुलेटिन

©मणिशंकर दिवाकर, गदगद

परिचय– बेमेतरा, छत्तीसगढ़


 

 

कैसी यह रीति है,

कैसी यह नीति है,

इंसान इंसान को धोखा दे जाता है,

अपनी शान – शौकत पाने में अपनी अहम ईमान भूल जाता है,

ना जाने किसके दिल में क्या अफसाना चल रहा है,

ये देखो दुनिया की दस्तूर यारों क्या जमाना चल रहा है,

किसी को कोई ईमान की तराजू में अनुरूप तौल नहीं सकता,

किसी की निजी जीवन पर कोई हस्तक्षेप करते हो बोल नहीं सकता,

शर्म हया सब हद हो गई, जीवन की अविरल गाथा रद्द हो गई,

ये कैसी रीति है,

ये कैसी नीति है,

इंसान – इंसान को परख नहीं सकता,

है कोई गैरों को बचाने आये है इंसान,

दिल को सात्वानां दे प्रमाण रख नहीं सकता,

इंसान ही इंसान का काम आता है,

कोई अच्छा तो कोई बुरा कर्म पर नाम कमा जाता है,

जीवन की वास्तविक अर्थ समझना सीखों समझाना सीखों,

बुरे वक्त में फंसे इंसान का काम आना सीखों !!


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