सूरज बनके चलोगे तो…

©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय लातूर, महाराष्ट्र
खुद से जो हार जाओगे तो ये जिंदगी भी खफा है,
जिगर हिमालय सा रखो तो फिर क्या वो तुफां है?
हौसले जिनके बुलंद,वो क्या तुफानों से डरेंगे,
मुसीबतों से लड़नेवाले तो यहां हर हाल में जितेंगे।
जो उठा है तुफान वो पलभर में खत्म हो जायेगा,
हार के कभी रूक ना मत,हर पल वो बीत जायेगा।
हर घड़ी इम्तिहान बनी है ये सभी की जिंदगी यहां पर,
जो हार के भी जीत जाते है,वही कहलाते है यहां पे सिकंदर।
कोई भी मंजिल आसान नहीं होती,जिंदगी के इस सफर में,
युंही मिलती नहीं सफलता यहां, जिंदगी के कांटों भरी राहों में।
ख़ुद से जो हार जाओगे तो चारों दिशाओं में अंधेरा है,
सूरज बनके चलोगे तो देखो हर दिन यहां सवेरा है।

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