.

मोर भारत मां | Newsforum

©गणेन्द्र लाल भारिया, शिक्षक, कोरबा, छत्तीसगढ़


 

 

मोर भारत देश म चार धाम हे,

सब्बो के हिरदे म बसे राम हे।

 

एकर कदेक करों मय बखान,

सब्बो कति एकर हे गुणगान ।

 

चरन पखारत सागर हिंद हे,

भारतवासी बोलत जय हिंद हे।

 

यही हवे गंगा जमुना सरस्वती,

जेला हमन कइथन मां भगवती।

 

मोर देस के हे रंग रंग पहनावा,

कम हवे जेतका गुन ल गांवा।

 

बिरंग बिरंग हवे भाखा बोली,

अऊ सुघ्घर लगते हंसी ठिठोली।

 

कोई पुजे राम रहीम कोई ऐसा,

जेकर हवे बखान चारो दिशा।

 

तीज त्योहार जुर मिल के मनाथे,

अऊ संग मिल रोटी पीठा खाथें।

 

सोन उपजावे मोर भारत भुईयां,

धरती हवे मोर सोन चिरइयां।

 

जब ले पाएं ए भुईयां म जनम,

तब ले बढ़ गे मोर धरम करम ।

 

तिरंगा हमर देश के शान हे,

हमर भारत तो अबढ़ महान हे।


Back to top button