बेटियां | Newsforum
©आर एस आघात, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
परिचय- शिक्षा – एमए, एमबीए, टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक वर्ष के लिए सहायक प्रबंधक के पद पर कार्य किया, वर्तमान में आप सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आईडीबीआई में बतौर सहायक प्रबंधक कार्यरत हैं। बुद्ध शिक्षा प्रसार समिति (Reg.), अलीगढ़ के प्रचार सचिव, रन फॉर अम्बेडकर के अध्यक्ष हैं. सम्मान- हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हिंदी योद्धा नामक सम्मान से सम्मानित, दलित दस्तक पत्रिका द्वारा सम्मानित, साहित्य शोध संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार व काव्य – रत्न सम्मान से सम्मानित व विभिन्न पुस्तके, काव्य, रचना, नगमों का प्रकाशान.
ये बेटियां भी न जाने,
कितनी अजीब होतीं हैं ।
जब हों ससुराल तब,
मां के लिए तरसतीं हैं ।
सोचतीं हैं कि घर जाकर,
मां को ये बताऊंगी
बहन से ये कहूंगी,
प्यारे पापा से ये मांगुंगी ।
भाई को सबक सिखाऊंगी,
और बहन संग मस्ती भी करुंगी।
जब सच में मायके जातीं हैं,
तब वो शांत हो जातीं हैं ।
जुबां नहीं चलती तब उनकी,
मां बाप भाई बहन से मिल वो रो जाती हैं ।
दिल से बहुत खुश होती हैं,
और सब कुछ भूल जाती हैं ।
कुछ पल के लिए पति, देवर,
ननद, सास, ससुर ससुराल।
क्योंकि एक अनोखा प्यार,
होता है मायके में
एक अजीब सी कशिश,
होती है मायके में।
ससुराल में कितना भी प्यार मिले
मां बाप की एक मुस्कान को
तरसती हैं ये बेटियां।
ससुराल में कितना भी रोए
मायके में एक भी आंसु
नहीं बहाती हैं ये बेटियां ।
क्योंकि बेटियों का सिर्फ,
एक ही आंसू मां बाप भाई बहन,
को दिल से रुला देता है ।
कितनी अजीब हैं ये बेटियां
कितनी नटखट हैं ये बेटियां
ख़ुदा की अनमोल देंन हैं ये बेटियां
बेटियों को दिल से प्यार दें
दो रिश्तों को एक बनाती हैं ये बेटियां ।
अपने प्यार और मुस्कान भरी हंसी से,
घर को जगमगाती हैं ये बेटियां ।
सभी बेटियां सुखी, समृद्ध, खुशहाल रहे,
“आघात” पापा की ये परी,
ससुराल में जिम्मेदार बन जाती हैं ये बेटियां ।