सत्य अहिंसा से आजादी | Onlinebulletin.in
©जितेन्द्र देवतवाल ज्वलंत, शाजापुर, मध्य प्रदेश
दो अक्टूबर धरा पे आये सत्य अहिंसा पुजारी।
एक लाठी लंगोटी पहनकर सब जिंदगी गुजारी।।
अफ्रिका से वतन आ गये पुर्ण स्वराज के राही।
तपसी राम राज्य के वे थे आजादी के सिपाही।।
जब सारे भारत में ब्रितानी मचा रहे थे मनमानी।
स्वदेशी को ला गांधी ने थी उनकी रग पहचानी।।
चंपारण सत्याग्रह भारत में हो गई शुरू कहानी।
दांडी मार्च किया गांधी ने घबराये सारे ब्रितानी।।
देश में जब दो ही देखे चरखा और क्रांतिकारी।
हिन्दू मुस्लिम एक करे वो दलित उत्थानकारी।।
स्वावलंबी बन गांधी ने स्वदेशी प्रचार की ठानी।
आजादी महायज्ञ में तनमनधन से की कुर्बानी।।
वो सत्याग्रह सर्वोदय का हमको दे गये विधान।
अंत समय ‘हे राम’ कहकर निकले तन से प्राण।।
ये बलिदान याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी।
सत्य अहिंसा से आजादी दुनिया चाहे हो हँसी।।