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माँ की सीख | ऑनलाइन बुलेटिन

©अमिता मिश्रा

परिचय- बिलासपुर, छत्तीसगढ़


तुम मेरी परछाई हो पर मुझ जैसी मत बनना।

रखना नजर आसमान पर पग धरा पर रखना।

खूब ऊंची उड़ान भरना, संस्कारो को मत तजना।

पढ़ाई, लिखाई, रसोई, सिलाई सब सीखना।

पर खुद की रक्षा करने की भी सीख रखना।

 

चक्रव्यूह रचा हर जगह कदम सम्भल कर रखना।

चील की नजर सबकी तुम शेरनी की दहाड़ रखना।

सबका मन रखते-रखते तुम खुद को मत भूलना।

लोग रोकेंगे-टोकेंगे तुम्हें पर मंजिल पर ही रुकना।

ताने-बाने बुनेंगे लोग पर तुम सिर्फ सपनें बुनना।

 

तुम ही लक्ष्मी, सरस्वती हो पर दुष्टों के लिए काली बनना।

अपमान करें कोई तो अपना स्वाभिमान पहले रखना।

नोंच लेना निगाहे बुरी हाथ काटकर रख देना।

समर्पित होना अपनो के लिए पर पूर्ण समर्पण मत करना।

मन निश्छल, तन फौलादी, निज मान बनाएं रखना।

 

तुम खुशियां हो घर आंगन की तुम पहले खुश रहना।

विपरीत समय धारा में मन विश्वास जगाएं रखना।

तुम भारतीय नारी हो भारत की शान बढ़ाते रहना।

अपनी सभ्यता, संस्कृति का सदा पालन करना।

 

बेटी है अनमोल | ऑनलाइन बुलेटिन

 

 

 


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