मेरे मर्यादा पुरुषोत्तम | Onlinebulletin
©लोकेश्वरी कश्यप, मुंगेली, छत्तीसगढ़
मानव को मानवता का अर्थ बताया, वचन की रक्षा धर्म बताया l
नारायण होकर भी गुरु से शिक्षा प्राप्त कर गुरु का मान बढ़ाया l
पुरुषों में जो है उत्तम, वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l
सतपुरुषों की रक्षा को अपना कर्म और धर्म बनाया l
जो भी आये शरण तुम्हरी, उनको अपना दरश कराया l
पुरुषों में जो है उत्तम, वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l
जिनके रज के कण से भी पाषाण में प्राण आ जाये l
उन राम की भक्ति से मानव बोल तु क्या ना पा जाये l
पुरुषों में जो है उत्तम, वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l
बेटे का कर्तव्य क्या होता है हमें बताया,
प्राण जाये पर वचन ना जाये का मर्म समझाया l
पुरुषों में जो है उत्तम, वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l
पत्नीव्रत का धर्म निभाया, रावण को मार सीता का संताप मिटाया l
कैसा हो भाई- भाई का सम्बन्ध ऐ प्रमाण दिखलाया l
पुरुषों में जो है उत्तम, वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l
ऊँच नीच का भेद मिटाया, जो शरण आया उनको गले लगाया l
नवधा भक्ति का ज्ञान दिया शबरी को, प्रेम भक्ति पे सर्वस लुटाया l
पुरुषों में जो है उत्तम, वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l
भक्ति और प्रीति की रीत कैसे निभे ऐ समझाया l
मर्यादा की रक्षा को जिन्होंने जीवन ध्येय बनाया l
पुरुषों में जो है उत्तम, वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l
महाबली था वह अभिमानी, अमृत कवच ने जिसे अमर बनाया l
उस बलशाली,पापी,नीच,अधर्मी रावण का मान मर्दन किया l
पुरुषों में जो है उत्तम वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l
रावण के दस अवगुणों का प्रतीक उसके दसों सिरों को काट गिराया l
विजयादशमी को अवगुणों पर विजय प्राप्त करना बतलाया l
पुरुषों में जो है उत्तम,वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l
अत्याचारी रावण को मारा, सारी लंका विभीषण को सौप दिया l
लंका से अयोध्या आगमन बीच, पुनः सब की भक्ति का सम्मान किया l
पुरुषों में जो है उत्तम वो है मेरे राम मर्यादा पुरुषोत्तम l