कोई न सहें | ऑनलाइन बुलेटिन
©गायकवाड विलास
परिचय- लातूर, महाराष्ट्र
(हायकू काव्य रचना)
कैसे दिखाएं?
अंतर्मन की पीड़ा,
रोग है बड़ा ।
दवा कोई भी,
नहीं है उसपर,
वो है दुर्धर ।
अपना कोई,
हमसे रुठ जाएं,
अश्क बहाएं ।
ऐसे में कोई,
कैसे हंस पायेगा,
और जियेगा ।
फूलों के बिना,
कैसे खिले चमन,
वैसा है मन ।
छोड़ो ना कभी,
किसीको भी अकेला,
रिश्ता है मेला ।
कोई न सहें ,
अंतर्मन की पीड़ा,
रोग है बड़ा ।
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