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प्रेम हृदय रख देखिए, सरल सकल संसार | Newsforum

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

मधु मकरंद प्रवाह हो, नेह, प्रीत के धार

प्रेम हृदय रख देखिए, सरल सकल संसार

 

प्रेम मंत्र जो सीख ले, जन जन उसका दास

बैरी भूले बैर को, देवें निज विश्वास

वाणी झरते मधुरता, नित -नित खीचे पास

आनंदित वातावरण, आनंदिता निवास

प्रेम सिखाता है विनय, जीवन में सत्कार

प्रेम हृदय रख देखिए, सरल सकल संसार…

 

घात लगे अंतर जिसे, उससे मिठ बतियाय

मरहम बनकर प्रेम भी, भीतर चोट मिटाय

निज अंतस को देख ले, प्रेम, प्रणय भर प्राण

मंगलमयता भाव से, पाते शुभ निर्वाण

जहाँ प्रेम,तहँ ईष्ट है, होवत जन उद्धार

प्रेम हृदय रख देखिए, सरल सकल संसार ….

 

मधु मकरंद प्रवाह हो, नेह, प्रीत के धार

प्रेम हृदय रख देखिए, सरल सकल संसार


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