बोलो मुश्किल है ना | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©अनिता चन्द्राकर
क्या तुमने दिया है किसी को,
अपने हिस्से का खाना।
बोलो मुश्किल है ना।
मिलेगी खुशी कुछ अलग सी,
कभी भूखे को रोटी खिलाना।
क्या तुमने सीखा है किसी की
खुशी में दिल से मुस्कुराना।
बोलो मुश्किल है ना।
अहम का पत्थर पिघल जाएगा,
कभी दिल से दुआ करना।
क्या किये हो तारीफ़ किसी की
दिल अपना बड़ा कर।
बोलो मुश्किल है ना।
नहीं रहेगा बोझ मन में
कभी किसी का पीठ थपथपाना।
त्याग दो अहंकार अंतस का,
इतना मुश्किल नहीं है झुक जाना।
भूलकर आन मान शान अपनी,
बच्चों सा तुम खिलखिलाना।