नश्वर है संसार | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©राजेश श्रीवास्तव राज
परिचय- गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश.
मौत खड़ी जब सामने,
आता सब कुछ याद।
भला बुरा जैसा किया,
समय किया बर्बाद।१।
पंच भूत काया मिली,
जग सुंदर परिवार।
माया ममता में फँसा,
नश्वर है संसार।२।
पिंड रूप आकार ही,
होता जब साकार।
अस्थि मांस का लोथड़ा,
बनता विविध प्रकार।३।
माटी में दबना यहाँ,
या जलना उस पार।
कफ़न रहेगा पास में,
छोड़ेगा परिवार।४।
श्वांस कहाँ तक साथ दें,
नहीं किसी को भान।
मुख से हरि का नाम ले,
मत कर तू अभिमान।५।
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