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सुरक्षित है जीभ | newsforum

©हरीश पांडल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ 


दांतों के बीच

सुरक्षित है जीभ

हमारे बीच रहकर

ही हमारे खिलाफ

फैसले लेते हैं

हमारे पीढ़ी को

गुलाम बनाकर

हमें ही हुक्म देते हैं

क्यों नहीं है इनको

डर हमसे ?

यह सिद्धांत चल रहा

है कबसे ?

हम अपना अधिकार

मांगे तो वह बगावत

कहलाता है ?

वे हमारे अधिकार

छीने तो व्यवस्था

कहलाता है ?

मानव-मानव में जो

भेद बताएं हम ऐसे

कुप्रथाओं को

क्यों अपनाते हैं ?

हमारे बीच रहकर ही

हमारे खिलाफ

फैसले लेते हैं

हमारी पीढ़ी को

गुलाम बनाकर

हमें ही हुक्म देते हैं

हमारी संख्या ज्यादा है

फिर भी हम डरते हैं

उनकी संख्या कम है

फिर भी वे अकड़ते हैं

कारण क्या है

इस मजबूरी का ?

इस समस्या का कारण

क्या है ?

इस समस्या का निवारण

क्या है ?

जातिवाद मिटाओ साथी

सबको एक बनाओ साथी

हम सब इस नीति

को अपनाते हैं

हमारी पीढ़ी को

गुलाम बनाकर

हमें ही हुक्म देते हैं

हमारे बीच रहकर ही

हमारे खिलाफ

फैसले लेते हैं …


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