ये कैसा प्यार है | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र
उम्रभर के लिए सच्चा प्यार मिलना यहां पर,
ये सौगात हर किसी के तकदीर में कहां होती है।
कुछ लम्हें मिले प्यार के तो गुजरती नहीं ये जिंदगी,
क्योंकि उसी लम्हों की तरह ये जिंदगी खत्म कहां हो जाती है?
फूल जब खिलते है डाली डालियों पर,
तभी उसी फूलों की महक दिशा दिशाओं में फैलती है।
जब वही फूल डाली से गिरकर मुरझाते है ज़मीं पर,
तभी उस फूलों की खुशबू कहां महक उठती है।
उसी फूलों के जैसी कई जिंदगियां होती है संसार में,
जिनके जीवन में कुछ ही लम्हें यादें बनकर रह जाते है।
फिर उजड़ी हुई जिंदगी ही जी लेते है वो लोग,
जहां फिर से लौटकर बहारें कभी भी आती नहीं है।
ये कैसा प्यार है,जो कुछ साल बीत जाने से ही ख़त्म हो जाता है,
ऐसे ही गमों से भरी जिंदगियां संसार में घुट-घुटकर जीती है।
बदलते जमाने के साथ बदल गया यहां प्यार का मतलब ही,
अब ऐसे ही प्यार का ये नया दौर यहां पर चल रहा है।
फिर हर रोज यहां घर-घर में होती है टकराव आपस में,
और कई रिश्तों में हमेशा के लिए दरारें पड़ जाती है।
उसी की वजह से उजड़ जाते है कई हरे-भरे संसार भी,
ऐसे जीवन साथी ही आधे सफर में ही एक-दूसरे का साथ छोड़ जाते है।
उम्रभर के लिए सच्चा प्यार मिलना यहां पर,
ये सौगात हर किसी के तकदीर में कहां होती है?
कुछ लम्हें मिले प्यार के तो गुजरती नहीं ये जिंदगी,
क्योंकि उसी लम्हों की तरह ये जिंदगी खत्म कहां हो जाती है?