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kinnar ka pyaar : किन्नर का प्यार भाग_ 8

kinnar ka pyaar
श्याम कुंवर भारती

©श्याम कुंवर भारती

परिचय- बोकारो, झारखंड


 

kinnar ka pyaar : ऑनलाइन बुलेटिन: सुनंदा ने इस तरह से पानी पिया जैसे पानी गले से नीचे उतर ही नही रहा हो।बड़ी मुश्किल से उसने आधा गिलास पानी पिया और गिलास टेबुल पर रखकर निढाल होकर बैठ गई।उसकी आंखो से आंसू रुक ही नही रहे थे।

 

इधर रसोई घर में राहुल की मां चाय बनाते हुए सुनंदा के बारे में ही सोच रही थी ।जितनी प्यारी और मासूम लड़की है ।घर के सभी काम में भी निपुण है।मेरे बेटे से कितना प्यार करती है।इतना की उसकी जरा सी भी जुदाई बर्दाश्त नही कर पा रही है। राहुल के लिए एक दम पागल है।

 

भोली भी इतना की चुपचाप रसोई घर में आकर रो रही थी की कोई देख न ले ।मतलब किसी को दिखाना भी नही चाहती है अपना दुख ।

 

सुंदर भी बहुत है ।मेरे बेटे के जीवन साथी के रूप में इससे योग्य लड़की कोई और हो ही नहीं सकती है।(kinnar ka pyaar)

 

लेकिन राहुल ने अबतक इस लड़की के बारे में मुझे बताया क्यों नही ।आगे आज ये लड़की अचानक नही आती तो मुझे इस लड़की के बारे में पता नही नही चलता।

 

शायद संकोच वस नही बताया होगा ।खैर जो भी हो मुझे तो ये लड़की बहुत पसंद आई है।मैं राहुल के पापा से इसके बारे में बात करती हूं। यह सब सोचते सोचते उनकी चाय बन गई थी।

प्रज्ञा देवी ने सबके लिए कप में चाय डालकर ट्रे में लेकर बाहर निकल गई।

 

बाहर आकर देखी उनकी छोटी बेटी और बेटा सुनंदा को समझा रहे थे।

 

इतना दुखी मत हो दीदी आप भईया से बात कर लेना कल ।पढ़ने के लिए गए हैं। हमेशा के लिए थोड़े ही न गए हैं।पढ़ाई पूरी होने के बाद घर आएंगे ही।

 

लवली ठीक कह रही है बेटी इतना उदास मत हो लो चाय पियो। प्रज्ञा देवी ने चाय का कप सुनंदा की तरफ बढ़ाते हुए कहा ।

 

सुनंदा ने राहुल की मां के हाथ से चाय लेकर टेबुल पर रख दिया और कहा _ आपने क्यों तकलीफ किया आंटी मैं बना देती न।

 

उसकी इस हरकत पर सब हंसने लगे।प्रज्ञा देवी ने उसके गाल पर हाथ फेरते हुए कहा _ बेटी जबसे आई हो तुम ही तो कर रही हो।मुझे कहा कुछ करने दे रही हो।इसलिए मैने भी तुम्हारे लिए चाय बना दिया.

 

चलो चाय पि लो वरना ठंडी हो जायेगी।

 

सुनंदा ने चाय का कप उठा लिया एक घूंट पिया तभी राखी का फोन उसके मोबाइल पर आया।

उसने उसका फोन उठा लिया।

 

राखी ने पूछा तुम इतने देर से कहा हो सखी तुम्हारी मां चिंतित हो रही है।

 

सुनंदा ने कहा_ राखी मैं राहुल के घर पर हूं ।

मुझे पता है तुम कहा हो लेकिन इतने देर से वहा क्या रही हो ।जल्दी घर आओ ।मैं तुम्हारे घर पर ही हूं। राखी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा।(kinnar ka pyaar)

 

ठीक है मैं आ रही हूं। सुनंदा ने कहा और फोन काटकर अपने बैग में रख दी।

 

राहुल की मां ने कहा तुम्हारे माता पिता क्या करते हैं।घर में कौन कौन लोग हैं। सुनंदा ने सब बता दिया।

 

चलो मैं तुम्हे अपनी स्कूटी से तुम्हारे घर छोड़ देती हूं। प्रज्ञा देवी ने कहा।

 

नही आंटी मैं चली जाऊंगी।आप तकलीफ मत कीजिए।

 

प्रज्ञा देवी ने अपने छोटे बेटे से कहा बेटा सुनंदा के लिए एक ऑटो बुलाकर ले आओ ।

 

राहुल के भाई ने थोड़ी देर में एक ऑटो ले आया। प्रज्ञा देवी ने ऑटो वाले से कहा मैडम को इनके घर तक छोड़ देना।फिर जबरजस्ती सुनंदा के हाथ में एक हजार रुपए थमा दिए । सुनंदा ने बहुत मना किया लेकिन वो नहीं मानी।

राहुल की मां ने कहा अपनी मां से कहना मैं एक दिन उनसे मिलने तुम्हारे घर आऊंगी।

 

तभी उनके मोबाइल पर राहुल का फोन आया और कहा _ मां मैं ट्रेन में बैठ गया हूं। ट्रेन खुल गई है।

 

ठीक है बेटा दिल्ली पहुंचकर फ़ोन करना और अपना ख्याल रखना। प्रज्ञा देवी ने कहा।

हां मां मैं अपना ख्याल रखूंगा तुम चिंता मत करो।राहुल ने कहा।

 

तुम्हारी दोस्त को उसके घर ऑटो से भेज रही हूं।

 

क्या सुनंदा अब भी वही है।राहुल ने पूछा।

मैंने ही उसे चाय पीने के लिए रोक लिया था।लो उससे बात कर लो इतना कहकर प्रज्ञा देवी में मोबाइल सुनंदा को दे दिया।

 

राहुल ने पूछा तुम ठीक तो हो सुनंदा लेकिन सुनंदा के मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी।वो चुपचाप राहुल की आवाज सुन रही थी ।फिर उसकी आंखो से आंसू बहने लगे।

 

राहुल कुछ पूछ रहा है बेटी उसका जवाब दो। प्रज्ञा देवी ने कहा।(kinnar ka pyaar)

 

लेकिन सुनंदा बस रोए जा रही थी।राहुल हेलो हेलो किए जा रहा था ।क्या हुआ सुनंदा तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही हो।

 

बेटो ऐसे करोगी तो राहुल के दिल पर क्या बीतेगी ।उसकी बात का जवाब दो।

 

तभी सुनंदा ने रोते हुए कहा _ मैं ठीक हूं और मोबाइल राहुल की मां को दे दिया।

 

मुझसे बात नही हो पायेगी आंटी।उसका ऐसा हाल देखकर सब लोग हैरत में पड़ गए।आज के जमाने में कोई लड़की किसी लड़के से इतना टूटकर प्यार कैसे कर सकती है।उसकी जरा भी जुदाई सहन न कर सके।फिर इतने दिन कैसे रहेगी।

 

प्रज्ञा देवी ने सोचा और लवली से कहा बेटी अपने पापा को उनके कमरे से बुलाकर ले आओ और मेरा हैंड बैग भी भी लेती आओ।उनको बोल देती हूं ।में और तुम सुनंदा के घर तक जायेंगे इसके छोड़ने के लिए।

 

इस लड़की की हालत ठीक नहीं है।

 

राहुल की मां उसकी बहन लवली और सुनंदा ऑटो से निकल गए।रास्ते में सुनंदा चुप ही थी।बेटी मेरा बेटा बाहर गया है तुमसे ज्यादा तो मुझे दुख होना चाहिए।लेकिन मैं उसके भविष्य के चलते अपना दुख बर्दास्त कर रही हूं।

 

तुम तो उसकी दोस्त हो इतना दुखी होगी तो कैसे चलेगा।क्या तुम नहीg चाहती तुम्हारा दोस्त पढ़ लिख कर एक आई ए एस ऑफिसर बने।

 

इसके लिए तो किसी को भी घर दे बाहर आना जाना पड़ेगा।तुम तो एक पढ़ी लिखी लड़की हो।सब समझती हो।थोड़ा धीरज रखो ।खुद को संभालो।

 

अब उसका फोन आए तो ठीक से बात कर लेना वर्ना उसको टेंशन हो जायेगी तो वो पढ़ाई कैसे करेगा।

 

प्रज्ञा देवी ने अपने स्तर पर सुनंदा को समझाने का प्रयास किया ।

 

सुनंदा चुपचाप सब सुनती रही। (kinnar ka pyaar)

 

शेष अगले भाग _ 9 में 

 

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