जीवन में कर गए उजाला | ऑनलाइन बुलेटिन
©ममता आंबेडकर
परिचय– गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
हजारों साल पुरानी गुलामी को
सोच भी दिल कांपने लगता है
यह कैसी अंधेरी रात थी।
अपने आप से भी डर लगता था।
मैं कैसा बद नसीब था।
जो खाली रास्तों पर भी चल न सकता था।
पैरों में पड़ी थी गुलामी की बेड़ियां
पत्ते तो सारे झड़ चुके थे लेकिन।
अत्याचारों के जख्म हरे थे
हमने तो कभी सोचा भी नहीं था
क्या सचमुच कोई मसीहा
हमारे जीवन में भी आएगा
ऐसे महक उठेगा जीवन फूलों
की बगिया की तरह
सारी बस्ती आराम से सोती थी
हमारे मसीहा बाबासाहेब डॉ
भीमराव आंबेडकर
हमारे हक अधिकार के लिए
सारी रात न सोते थे
बड़ी पीड़ा से गुजरा था उनका जीवन
लेकिन शिक्षा की ज्योति से हमारे
जीवन में उजाला कर गए …