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उतरे नहीं कभी जो चढ़कर | ऑनलाइन बुलेटिन

©सरस्वती राजेश साहू

परिचय– बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

 

उतरे नहीं कभी जो चढ़कर,

रंग वही ले आओ रे।

मीत, प्रीत के संग में होली,

मिलकर सभी मनाओ रे।।

 

तू कान्हा बन जा रे साजन,

मैं राधा बन जाऊँगी।

गाँव, गली ब्रज बन जाए तो,

सखियाँ पास बुलाऊँगी।।

प्रेम रंग में चोली रंगकर,

गीत सुनहरा गाओ रे।

मीत, प्रीत के सँग में होली,

मिलकर सभी मनाओ रे।

 

मेह बरसता जो फागुन में,

रंगों की बरसात भली।

प्रीति उतर नैनों से भीतर,

हिय को दे सौगात चली।।

बैर भुलाकर स्वच्छ हृदय से,

सबको गले लगाओ रे।

मीत,प्रीत के सँग में होली,

मिलकर सभी मनाओ रे।

 

अजब प्रीत का गजब असर है,

वही साँझ तो भोर वही।

करो समर्पित जीवन का क्षण,

वही सुधा रस प्रेम सही।।

प्रेम रंग है सबसे गहरा,

पक्का वही रँगाओ रे।

मीत,प्रीत के सँग में होली,

मिलकर सभी मनाओ रे।

 

उतरे नहीं कभी जो चढ़कर,

रंग वही ले आओ रे।

मीत, प्रीत के संग में होली,

मिलकर सभी मनाओ रे।।


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