मैं बनिहार आंव …
©सतीश यदु, जिला उपाध्यक्ष, युवा यादव (ठेठवार) बेमेतरा, छत्तीसगढ़
1 दुनिया ल सिरजाथंव मैं
रकत पछीना ल अउटाके।
जउन फसल ल मैं उपजाथव
तउने ल खाथव बीसाके।।
2 मालिक के धुतकार सुंथव
ताना घलो बड़ सुनाथे।
हांसत ओखर दिन निकलथे
मोर महीनत ले ओहा खाथे।।
3 नरक बरोबर मोर जिनगी हे
सरग बनाथव सबो बर मैं।
लइका सुवारी निच्चट हे मोर
बूड़े हबव माटी गोबर मैं।।
4 मोर पीरा ल कोनो नइ जानय
तियासी बासी खाथंव।
हकर हकर के बुता करके भाई
धरती के गुन ल गाथंव।
5 तन बर नइये उज्जर कुरथा
न तो नइये ठउर ठिकाना।
आज इहां त काली उहां
करथव जा जाके कमाना।।
6 जुड़ गर्मी अउ बरसात ल
मोर तन घलो ह सई लेथे।
कइठन मोर नाव हे जग म
मजदूर त कोनो बनिहार कही देथे।।
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