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मां मेरी विधाता | Newsforum

©गणेन्द्र लाल भारिया, शिक्षक, कोरबा, छत्तीसगढ़

परिचय – प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (हिन्दी), केन्द्रीय विद्यालय, अंबिकापुर.


 

 

जग में तू ही है मां मेरी विधाता,

तेरे ही चरणों में सारा सुख पाता।

संसार का हर एक छान लिया कोना,

कहीं नहीं पाया ममत्व रूपी सोना।

 

तूम ही दुर्गा, प्रभु, ईश्वर और भगवान,

तूझसे और नहीं इस संसार में महान।

 

हर एक मांग जिसे मां करती पूरा,

मां बिना आज और कल अधुरा।

 

दिन, रात ओ खुशियों का चमन,

मां मेरे लिए की सदा जिसे दमन।

 

मां की ओ चंचल मुस्काती चेहरा,

हम बच्चों बनी हुई आज सेहरा।

 

मां तू ही तो तू ही है और न दूजा,

सृष्टी में तुमसे न कोई मिला सजा।

 

तुम्हारी ये शीतलता भरी आंचल,

कारण न बनुं बहने की काजल ।

 


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