प्रणय निवेदन मेरा | ऑनलाइन बुलेटिन

©राजेश श्रीवास्तव राज
परिचय- गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश.
गीत
तुम ही हो हिय प्राण हमारी,
प्रणय निवेदन मेरा बस है।
तुमने आकर प्रेम जगाया,
नाता कैसा तेरा अब है।।
मैं तो किंचित मात्र यहां था,
परिणय बंधन होता जब है।
तुम ही हो हिय प्राण हमारी,
प्रणय निवेदन मेरा बस है।।
तुझमें सागर की गहराई,
प्रतिपल नवल आनंदरत है।
भोर सांझ की अनुपम बेला,
भ्रमण कुंज में देखो मद है।।
निशा स्याह सी जब भी आती,
कीट पतंगे दीपक पर हैं।
तुम ही हो हिय प्राण हमारी,
प्रणय निवेदन मेरा बस है।।
केश घनेरे घुंघराले से,
देखो वह आलिंगनरत हैं।
छवि है तेरी मनमोहक सी,
प्रेम हमारा जीवन भर है।।
पाँव महावर से सजते जब,
पग में नूपुर डोले तब है।
तुम ही हो हिय प्राण हमारी,
प्रणय निवेदन मेरा बस है।।
सुख-दुख बीते साथ सदा,
अनुबंधन बस इतना अब है।
मुस्का करके हँसी बिखेरो,
जाने कैसा मौसम यह है।।
भामिनी सी जीवन में आई,
देखो मंगल अवसर यह है।
तुम ही हो हिय प्राण हमारी,
प्रणय निवेदन मेरा बस है।।
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