लेकिन हम रहेंगे अधूरे…
©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र
थे श्रेष्ठ गज़ल गायक पंकज उदास,
वो बनके रह गए जैसी कोई अधूरी प्यास।
मगर हरपल याद रखेगा ये ज़माना तुम्हें यहां,
फिर भी सुना सुना लगेगा ग़ज़लों का वो जहां।
चिठ्ठी आई है,आई है वो ग़ज़ल आपकी,
कौन भला इस ज़माने में भूल पायेगा।
ऐसी गज़ल गायकी हर दिलों की चाहत,
सूर वो तुम्हारा अब,सदियों तक यहां गुंजता रहेगा।
सारेगम,सप्तसूरों के तुम थे बादशाह,
अब संगीत तुम्हारे बिना आधा अधुरा सा लगता है।
शत शत नमन आपके वही गीतों के लिए,
जिन गीतों में आपने आपकी मधूर आवाज़ पिरोई है।
अब ना आयेगी कोई धून आपके मधूर गीतों की,
अब ना कोई सजेगी महफिल आपके मधूर सूरों की।
खत्म हुई जिंदगी और बिखर गई कमल की पत्तियां,
अब सुनी-सुनी लगेगी आपके बिना ये ग़ज़ल की पंक्तियां।
थे श्रेष्ठ गज़ल गायक पंकज उदास,
वो बनके रह गए जैसी कोई अधूरी प्यास।
जब तक रहेगी धरती और ये चांद सितारें,
तब तक गुंजती रहेगी वो आवाज़, लेकिन हम रहेंगे अधूरे – – –
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