घमंड …

©पुष्पराज देवहरे भारतवासी
अकेले ही आये है अकेले ही जाना है
परायों की दुनियां है, भुला सारा जमाना है ||
अपने तन पर क्यों इतना इतराते हो
मिट्टी का शरीर है मिट्टी में मिल जाना है ||
मतलबियों का शहर है, मौत यहाँ सस्ती है
मौत से यहाँ बचा कौन, ये रिश्ता कहां पुराना है ||
हक मारकर कागज़ी बिल्डिंगे बनाते
कागज का नाव है, एक दिन तो डूब जाना है ||
सच्चे प्रेम का जिस्म से कोई वास्ता नहीं
प्रेम करिये मन से यही तो जीवन का तराना है ||
मिले बिछड़े दोस्त तो गले लगा लेना
दोस्ती से बढ़कर न रिश्ता दूजा याराना हैं ||

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