शूरवीर महाराणा प्रताप ….

©पूनम सुलाने-सिंगल
नाम जिनका सुनते ही
दुश्मनों ने हार मानी है।
शूरवीर के पराक्रम की
ए अमर कहानी है।
कट जाए शीश भले ही मगर
झुकना नहीं मंजूर था उनको।
वीरता और शौर्यता के नाम से
याद करता है इतिहास जिनको।
9 मई 1540 मेवाड़ वंश के
राजघराने में हुआ जन्म उनका।
राजा उदयसिंह नाम पिता का
मेवाड़ वंश में राज था जिनका।
7 फुट 5 इंच लंबाई,
देख सीना चौड़ा जिनका।
दुश्मन भी थरथर कांप जाते
110 किलो का था शरीर उनका।
80 किलो का भाला लेकर हाथों में
वार दुश्मनों पर किया करते थे।
एक ही झटके में घोड़े सहित
दुश्मनों के दो टुकड़े करते थे।
104 किलो की तलवार दो
म्यान में अपनी रखा करते थे।
निहत्था दुश्मनों पर नही किए वार कभी
अपनी एक तलवार उनको दिया करते थे।
72 किलो का चढ़ा कवच
चेतक पर हो सवार
मैदान में उतरा करते थे।
हाथी, घोड़ा, तलवार
कुशल सैनिकों की कतार से
दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिया करते थे।
बिहड़ जंगल को बना बिछोना
जोड़कर जनजाति सेना बनाई थी।
नहीं कर पाए मुगल राज मेवाड़ पर
नहीं हुए गुलाम किसी के,भले रोटी घास की खाई थी।
आज भी इतिहास याद करता है
1576 हल्दीघाटी की वो लड़ाई।
महाराणा के संग,चेतक ने भी
दुश्मनों को थी जो धूल चटाई।
सुन कहानी शूरवीर महाराणा प्रताप की
आज भी हर युवा चेतना से भरता है।
अद्भुत,अद्वितीय सूर्य समान था तेज जिसका
ऐसे वीर के सामने हर माथा गर्व से झुकता है।
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