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मां के चरणों में नमन | Onlinebulletin

©अशोक कुमार यादव, अलवर, राजस्थान


 

 

यही कहते सब धर्मग्रंथ

यही है गुरुओं का कथन

सबसे पहले मां के चरणों में

शीश झुकाकर करो नमन

मां ही हमें दुनियां में लाती

उंगली पकड़कर चलना सिखाती

सदा हमारी रक्षा करती

जीवन को खुशियों से भरती

मां ही दुर्गा रुप है

कोटि-कोटि इसे नमन

यही कहते सब …

 

मां ही हमें संस्कार सिखाती

परिवार को खुशहाल बनाती

जीवन की हर बाधा में

मां ही सच्चा साथ निभाती

मां ही अपने परिवार में

रखती है सब ओर अमन

यही कहते सब …

 

मां ही है शक्ति स्वरूपा

मां के ही सब रूप विरुपा

मां ही है ममता की खान

मां में ही सब तीर्थ स्थान

मां के सच्चे आशीर्वाद से

जीवन बन जाता है चमन

यही कहते सब …

 

जिसने की है मां की सेवा

उसने पाई खूब है मेवा

मां के खुश रहने से ही

प्रसन्न होते सब देवी और देवा

अंत में मेरी विनती है सबसे

मां की सेवा में करो गमन

यही कहते सब …


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