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तलाश | ऑनलाइन बुलेटिन

©हिमांशु पाठक, पहाड़

परिचय– नैनीताल, उत्तराखंड.


 

तेरे बिछुड़ने का गम,

आज भी इन आँखों में

कुछ, ऐसा है कि ,

ये आँखे! आज भी ,

भीड़ में, तेरी तलाश ,

करती हैं।

ये जानते हुए भी,

कि अब तेरा मिलना,

मुमकिन नहीं, फिर भी,

ये दिल को तसल्ली,

देतीं है।

ये आँखे! आज भी,

तेरी तलाश करती हैं ।

छोटी सी ही तो,

ये दुनियाँ है।

और दूरियाँ है भी,

तो है कितनी?

घुम फिर करके,

ये रास्तें एक मोड़ पर,

मिल जाते हैं ।

उन्ही रास्तों के एक मोड़ पर ,

एक दिन फिर तू मिल जाएगी,

ये कहकर ये दिल ,

मुझको हर रोज,

तसल्ली देती है ।

ये आँखे! आज भी,

तेरी तलाश करती हैं।

मौलिक एवं अप्रकाशित


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