कुंदन ….

©बिजल जगड
काबे का रास्ता तो कलीसा से मिल गया,
ख़ुद अपने साथ हूँ, ख़ुदा के साथ हूँ मैं।
ये रब्त कैसा, चाहे कितनी हो सरकश हवा,
ख़ुद अपने साथ हूँ, ख़ुदा के साथ हूँ मैं।
अजल भी सामने आए, मुस्कुरा कर चले,
ख़ुद अपने साथ हूँ, ख़ुदा के साथ हूँ मैं।
हमारी काल की घंटी का चमत्कार देखो,
ख़ुद अपने साथ हूँ, ख़ुदा के साथ हूँ मैं।
साल-ए-नौ हो जन्नत, जल कर हुए कुंदन,
ख़ुद अपने साथ हूँ, ख़ुदा के साथ हूँ मैं।
कलीसा – गिरजा घर
रब्त – connection
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