सोचता रहता है वह sochata rahata hai vah
©गुरुदीन वर्मा, जी.आज़ाद
परिचय– बारां(राजस्थान)
सोचता रहता है वह,
हरवक्त उनके बारे में,
जिनको कहता है वह,
अपना मित्र,पड़ौसी।
वह घर, जहाँ वह रहता है,
जहाँ वह कभी रहता था,
वह स्थान, जहाँ दिल लगता है,
जिनको वह मान लेता है अपना,
सोचता रहता है इनके बारे में।
ऐसे ही खुश और सुखी रहे,
ऐसे ही हमेशा आबाद रहे,
और चाहता है इसके बदले में,
इनका प्यार, विश्वास, सम्मान।
ना नींद उसकी आँखों में है,
ना चैन उसके दिल में है,
खोया रहता है हमेशा वह,
उसकी खुशी के सपनों में,
जिसको मानता है अपना,
हमराह ,हमसफर और हमदम।
बनाता है वह उसकी भी तस्वीर,
सींचता है रोज उसके चमन को,
माँगता है मिन्नतें वह ईश्वर से,
और करता है उस पर गर्व बहुत,
जिस वतन में रहता है वह,
उसके चैनो- हिफाजत के बारे में,
सोचता रहता है वह हमेशा।
he keeps thinking
He keeps thinking
about them all the time,
whom he says,
Your friend, neighbor.
the house where he lives,
where he once lived,
the place where the heart feels,
whom he takes as his own,
Keeps thinking about them.
Stay happy and happy like this,
be like this always,
and wants in return,
Their love, trust, respect.
There is no sleep in his eyes,
There is no peace in his heart,
He is always lost,
in her dreams of happiness,
who believes in himself,
Humrah, Humsafar and Humdum.
He makes her picture too,
Irrigates his chaman every day,
He prays to God,
and is very proud of him,
The country in which he lives,
about his safety,
He always thinks.