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सुखों का मेला कहां है…

©गायकवाड विलास

परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र


 

 

सुखों का मेला कहां है,

सच्चा इन्सान कहां है

बिकता हुआ ज़मीर ,

इस नए दौर में ।

 

बीत गया वो जमाना,

प्रीत भरा वो अंगना

उजड़ी हुई गलियां ,

क्रांति भरें युग में ।

 

रिश्तों में आयी दुरियां,

बदल हुई नीतियां ,

धन का छाया है नशा,

आज के जमाने में ‌।

 

गांव भी नया हुआ है,

नए रंगों में खोया है ,

वहां भी नहीं है शान्ति,

सभी के आंगन में ।

 

Gaikwad Vilas, Latur, Maharashtra
गायकवाड विलास

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