तुमको जगाने आया हूँ | ऑनलाइन बुलेटिन
©पुष्पराज देवहरे भारतवासी
परिचय– रायपुर, छत्तीसगढ़.
बात बहुजन लाख पते की
तुमको बताने आया हूँ |
आज बहुजन सुनलो मुझको
तुमको जगाने आया हूँ ||
सर पर हांडी पैर में झाड़ू
तुमको पहनाया जाता है |
ना हो जाये ऊँचे से मेल
तुम्हें बाहर बसाया जाता है ||
ऊँच -निच की चिंगारी को
जड़ से मिटाने आया हूँ |
आज बहुजन सुनलो मुझको
तुमको जगाने आया हूँ ||
शिक्षाओं से वंचित करते
अशिक्षित तुम्हें बनाते हैं |
अज्ञानता के अंधकार में
रोज तुम्हें भटकाते हैं ||
घोर अंधेरों में शिक्षा का
दीप जलाने आया हूँ |
आज बहुजन सुनलो मुझको
तुमको जगाने आया हूँ ||
पानी की बूँद- बूँद से तुमको
नित दिन प्यासा रखते हैं |
जाने अपने कितने बहुजन
यहाँ रोज दुखों को सहते हैं ||
न्याय समता और बंधुता का
पाठ पढ़ाने आया हूँ |
आज बहुजन सुनलो मुझको
तुमको जगाने आया हूँ ||
अगर हो जाये मंदिर प्रवेश
गंगाजल से पवित्र कराते हैं |
ऊँच – निच की बेड़ीयों में
रोज तुम्हें तड़पाते हैं ||
ऊँच – निच की दीवारों से
तुम्हें छुड़ाने आया हूँ |
आज बहुजन सुनलो मुझको
तुमको जगाने आया हूँ ||